tag:blogger.com,1999:blog-3877450586325033449.post8560706783490955408..comments2023-05-17T17:28:43.118+05:30Comments on सोच - विचार: भोपाल के बहाने : क्या हमें अब क्रांति की जरूरत है?पंकज वर्माhttp://www.blogger.com/profile/07174592948210012613noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-3877450586325033449.post-37089671846068754642010-06-12T11:05:37.002+05:302010-06-12T11:05:37.002+05:30@राजेश : बहुत खूब लिखा है.. वास्तविकता को आपने शब्...@राजेश : बहुत खूब लिखा है.. वास्तविकता को आपने शब्दों से अच्छा पिरोया है.<br /><br />विचार तो ये आता है कि लोकतांत्रिकता जैसे शब्दों का महत्व और अर्थ तो खत्म ही लगता है.<br />न्यायपालिका पर क्या अब भरोसा करना ही छोड़ देना चाहिए ? अरे राम भरोसे अगर कोई न्याय आता तो, इससे अच्छा ही आता. अब तो देश को राम भरोसे भी नहीं छोड़ सकते.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/05384510579415991042noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3877450586325033449.post-58815033988077324292010-06-09T02:10:38.384+05:302010-06-09T02:10:38.384+05:30भोपाल गैस त्रासदी के अभियुक्तों को इतनी सस्ती सजा ...भोपाल गैस त्रासदी के अभियुक्तों को इतनी सस्ती सजा न्याय के नाम पर मजाक है. न्यायाधीशों को भी ऐसा निर्णय देने पर शर्म आनी चाहिए . संभव है की वे भी खरीदे गए हों. और तो और पीड़ितों को भी ठेंगा दिखा दिया गया . पूरा वाकया हम भारतवासियों के लिए शर्म की बात है . हमारे श्रम क़ानून मजाक मालूम पड़ते हैं . कोई भी विदेशी , अमेरिकी कंपनी यहाँ अपनी मनमानी करना खेल क्यूँ ना समझे जब उसे पता है की यहाँ रिक्शे वाले , पुलिस , अभियंता , मंत्री , वकील सब बिकाऊ हैं . काश कोई महात्मा गाँधी फिर पैदा होता जो हमारे आत्म सम्मान को हमारी विदेशी गुलामी , विदेशी संस्कार के अन्धानुकरण से मुक्तिदिलाता.Namanhttps://www.blogger.com/profile/14399036750075789640noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3877450586325033449.post-86036941597404714242010-06-08T18:04:24.065+05:302010-06-08T18:04:24.065+05:30भोपाल एक
मुनाफा उनका है
श्मशान अपना है
जहर उनका ह...भोपाल एक<br /><br />मुनाफा उनका है<br />श्मशान अपना है<br />जहर उनका है<br />जहरीला आसमान अपना है<br />अंधे यमदूत उनके हैं<br />यमदूतों को नेत्रदान अपना है<br />हमारी आंखों में जिस विकास का अंधेरा है<br />उनकी आंखों में उसी विकास का सपना है<br /><br />भोपाल दो<br /><br />जितना जहर है मिथाइल आइसो साइनेट में<br />हाइड्रोजन साइनाइड में<br />फास्जीन में<br />उससे ज्यादा जहर है<br />सरकार की आस्तीन में<br />जिसमें हजार-हजार देशी<br />हजार-हजार विदेशी सांप पलते हैं <br /><br />(राजेंद्र राजन)Rajesh R. Singhhttps://www.blogger.com/profile/17464328889363232422noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3877450586325033449.post-72225475715406525342010-06-08T17:05:18.833+05:302010-06-08T17:05:18.833+05:30Accha likha hai..
Kranti hi iska upaay hai..Accha likha hai..<br />Kranti hi iska upaay hai..Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/05384510579415991042noreply@blogger.com